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Tum Zindagi Ka Namak Ho
0तुम्हारी स्मृतियाँ इतनी गहरी हैं, जैसे नये-नकोर मकान पर कोई बच्चा ईंट के टुकडे से गुस्से में अपना नाम लिख दे। जैसे अलभोर ने रचा है धुंधलको को। रात रचती है सुबह की रोशनी। हर प्रेम रचता है अथवा यूँ कहेंं रचेगा आँसू। आज मेरे यार की शादी है, बैंड में नाच रहे होते हैं कुछ लोग। मगर कहीं दूर सूड़क रही होती है कोई नाक को। आँसू, जो दजला-फरात बनकर उसके गले में भर आए हैं। रोती है बाथरूम में जाकर जार-जार। -इसी किताब से
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Vaya Gurgaon
0सुमन ने कहा कि कर दी ना सीधी सट्ट जाटोंवाली बात! महेंद्र ने कहा– क्यों जची नहीं क्या, सुमन ने कहा– जाटणी हूं, जी में आ जाए तो क्या नी जचे। और ना जचे तो भगवान भी नहीं जचा सके। वैसे बात तो सयाणी करी है। सोचने दो महेंद्र सिहाग जी। वैसे, गोदारों का जवाईं बनने का सुख भी आसानी से नहीं मिलता। –इसी उपन्यास से
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Ward No. 6
0चेख़व स्वयं डॉक्टर थे। अस्पतालों के भीतर के क्रियाकलापों से अनभिज्ञ नहीं थे। इस उपन्यासिका का मुख्य पात्र एंड्री एफिमिच भी डॉक्टर है, जो एक नए अस्पताल में कार्य-भार संभालता है। शुरुआती दिनों में वह महसूस करता है कि मरीज किस तरह की भयावह स्थिति में रहते हैं। हालांकि उसका मानना है कि उन्हें बदलने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता है। पाठक मनोरोग वार्ड नंबर 6 के निवासियों से परिचित होता है। उनमें ग्रोमोव नामक एक रोगी है। यह उपन्यासिका डॉक्टर एंड्री एफिमिच और रोगी ग्रोमोव के दार्शनिक संघर्ष की पड़ताल करती है। रोगी ग्रोमोव हर तरफ व्याप्त अन्याय की निंदा करता है, जबकि डॉ. एंड्री एफिमिच अन्याय और अन्य बुराइयों की अनदेखी करने पर जोर देता है। यह माना गया कि उपन्यासिका में मानसिक वार्ड को रूस और अभिजात वर्ग के पागलपन के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया था, जिन्होंने रूस की समस्याओं से निपटने के बजाय उन्हें नजरंदाज करने का विकल्प चुना।
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Yatna Shivir Mein Sathinein
0कवि जॉन गुजलॉव्स्की के युवा कवि देवेश पथ सारिया द्वारा अनूदित इस कविता संग्रह का पहला खण्ड युद्ध और यातना के अनुभवों पर आधारित है। इस पुस्तक के दूसरे खण्ड में अमेरिकी जीवन है। यहाँ भी कवि की रचना-प्रक्रिया पर युद्ध की छाया देखी जा सकती है। यह युद्धग्रस्तता ही है कि आदमी अपनी क्षमता के बरअक्स पेड़ों के जीवन को स्थिर और ईश्वर की तरह स्थितप्रज्ञ देखता है। तीसरे खण्ड की कविताओं में जापानी बौद्ध भिक्षु इक्यु की यात्रा है। इन कविताओं में दक्षिण-पूर्व एशियाई कविता शैली और लयात्मकता लक्षित होती है। इक्यु की काव्य कथाओं को पढ़ते हुए कुछ शिक्षाप्रद ज़ेन कथाएँ याद आती हैं। देखा जाए तो संग्रह का पहला खण्ड जहाँ युद्ध की छाया से पटा है, वहीं तीसरे व अंतिम खण्ड में शांति विराज रही है। युद्ध और शांति के बीच के दूसरे खण्ड में इन दोनों छोरों को छूता जीवन है, जिसमें प्रेम और प्रकृति के रंग भरे हैं।
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Thaka Suraj Chamakta hai
0लंबी कविता आधुनिक साहित्य का वैकल्पिक खंडकाव्य है। इसकी शुरुआत क्यों हुई, यह विचारणीय मुद्दा है। ध्यान खींचने योग्य तथ्य है, कि यह उपविधा के रुप में महाकाव्यों के लगभग अवसान के पश्चात प्रकट हुई। 20वीं सदी में बृहद उपन्यासों को जीवन का महाकाव्यात्मक आयान कहा गया, जो कि तर्कपूर्ण भी है। सही अर्थों में उपन्यास ही महाकाव्य के विकल्प सिद्ध होते हैं, अन्य कोई भी विधा नहीं। इस नजरिए से ल़ंबी कविता की अपनी अलग विशिष्टता, पहचान और प्रकृति है। लंबी कविता कविता का ही बहुदिशात्मक विस्तार है। वर्तमान की कुरुपताओं को मात देकर भविष्य के लिए प्रशस्त जनपथ का निर्माण करना लंबी कविता का मूलभूत दायित्व है। यह संग्रह निश्चय ही अपनी धारा प्रशस्त करेगा।
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Czech Sahitya Samay Aur Sach
0Animi qui et nemo consequatur iste totam et. Id nihil id enim consequatur provident non. Ratione est voluptas aperiam vero architecto.
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The Mirror of Love
0It is said that love in itself is the greatest resistance. In this arduous time when language is also gradually becoming a tool for spreading hatred and discrimination, we have to return to the language of love again and again. The poetry collection of renowned poet Vimal Kumar is a conscious and poignant endeavour to return to the lost language of humanity while exploring the numerous shades of love.
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A Journey through Mahabharata
0The greatest of our ancient masters like Valmiki and Vyasa frequently say things which mean one thing when we casually listen to them but quite different things when we pause and think about them, often meaning more than one thing at a time. Speaking of Indian philosophers, the French historian of philosophy EWF Tomlin once said that “Indian thought arrives at subtleties of distinction so varied and acute that the uninitiated and unprepared reader may well receive the impression that Indian philosophers enjoy the use of half a dozen intellects instead of one.” The authors of our epics belong to that category of masters and to understand them and truly appreciate them, we have to delve deep into what they say. Journey through Mahabharata is the result of my attempts at different times to travel to the hidden depths of the epic.
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Loving my dead wife
0Nam beatae reprehenderit est odio. Perspiciatis recusandae voluptatibus eveniet alias accusantium voluptatem ea. Ut sapiente quia voluptates eum molestiae autem doloremque. Est a et libero.