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    Flood Dynamics of Kosi : A Geographical Analysis

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    Since long India as well as in other countries flood management of a river basin have been focusing mainly on the downstream management. In Kosi also flood management strategy mostly emphasized upon the downstream management, but still outcomes are not as per the expectation of the people. Through this book it has been tried to draw the attention of planners also toward upstream management rather than heavy dependency on downstream management for flood management. This book also emphasizes upon the study and analysis of morphometry of a basin for adopting holistic approach of flood management of a river basin. Details of various aspects of morphometry of the basin together with data of soil, rainfall and geology will be helpful to identify the areas which are vulnerable for silt source in the catchments.

    350.00
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    Bacha Rahe Sparsh

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    ‘पुस्तकनामा’ से प्रकाशित यह संचयन कई मायनों में विशिष्ट है। इसमें बहुत वरिष्ठ से लेकर युवा तक 25 प्रखर स्त्री  कवियों ने अपनी श्रद्धांजलियाँ लिखी हैं। ये संस्मरण कुछ वहाँ से नहीं लिखे गए हैं जहाँ, दिनों-महीनों का समय लेकर लेखक तमाम काट-छाँट कर अपने आपको पॉलिटिकली करेक्ट रखते हुए, कलात्मकता की रेह से माँज कर एक संस्मरण लिखता है। ये एक प्रिय कवि के न रहने के अकस्मात आघात के विक्षोभ से उठी तरंगें हैं जिन्होंने सपूर्ण हिंदी समाज को हिला दिया था। ये शोक व स्मृति के ऐसे आवेगपूर्ण अनछुए उद्‌गार हैं कि बेहद महत्वपूर्ण पहला संस्मरण मंगलेश जी के अवसान के छठें ही दिन हाथ में आ गया था। और यही तात्कालिकता इसका सौंदर्य है।

    192.00
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    Hindi Kavita Ka Uttarpoorv

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    इस संग्रह में संकलित कवियों की कविताओं के स्वरों को पढ़कर बहुत हद तक आप तीन मुय सवालों के उत्तर भी तलाश सकते हैं। एक यह कि इन कवियों के कविता लेखन की वास्तविक पृष्ठभूमि क्या है? दूसरा यह कि मुयधारा के कविता स्वर से इनकी कविता का स्वर कहां तक मेल खाता है? और तीसरा यह कि उत्तर-पूर्व के कवियों की कविताओं का स्वर क्या है? इस संग्रह को निकालने के पीछे इन्हीं मुय तीन सवालों से टकराने तथा पूर्वोत्तर में रहकर हिंदी कविता लेखन कर रहे कवियों की कविताओं से हिंदी की मुयधारा की काव्य-संवेदना से जोड़ने का भी प्रयास किया गया है। इसलिए ध्यान परिमाण की बजाय कविता की विविधता पर रहा है।

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