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    Mai Ri

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    सैद्धातिक रूप से देवी, लेकिन व्यावहारिकता में न्यूनतम मानवीय अधिकारों से भी वंचित मातृछवियाँ पितृसत्ता को हमेशा से प्रिय रही हैं। सुपरिचित कथाकार कविता की माँ केन्द्रित कहानियों का यह विशिष्ट संग्रह माँ की परम्परापोषित रूढ़ छवियों को अलग-अलग कोणों से खोलता, खँगालता और पुनर्सृजित करता है। आधुनिक, स्वप्नदर्शी और अपनी अस्मिता के प्रति सजग इन कहानियों की माँएं यंत्रचालित खिलौना होने की नियतियों को अस्वीकार करती हैं। एक प्रौढ़ा माँ द्वारा अपने अकेलेपन से ऊबकर लिया गया विवाह का निर्णय हो या एक युवा मूर्तिकार स्त्री के कुंवारी माँ बनने का निर्णय, एक अकेली कामकाजी स्त्री के गर्भपात का निर्णय हो या एक कलाकार स्त्री का मातृत्व को आनुवांशिकता की परिधि से मुक्त करने की संकल्प यात्रा…विभिन्न मातृ चरित्रों की जटिल और आधुनिक जीवन-स्थितियों से बनी ये कहानियाँ दो पीढ़ियों की स्त्रियों के चुनने और बदलने की जद्दोजहद की कहानियाँ भी हैं। माँ के निर्णय में बेटी और पोती की सहमति तथा बेटी और बहू के निर्णय में माँ और सास की सहभागिता से ये कहानियाँ पीढ़ीगत पारस्परिकता और साहचर्य की संवेदनशीलता का सर्वथा अलग और स्पर्शी प्रतिसंसार रचती हैं।

    269.00
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    Mali

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    उपन्यास के विषय में – इस उपन्यास में वर्तमान नौकरशाही के कई पक्षों को उजागर किया गया है। प्रशासन और राजनीति के सकारात्मक और नकारात्मक पहलूओं को स्पष्ट किया गया है। स्त्री स्वातंत्र्य सहित कई ज्वलंत बिन्दुओं को स्पर्श किया गया है। उपन्यास की यथार्थपरकता जहाँ हमें आज के समय से साक्षात्कार कराती है वहाँ यह आसन्न संकटों के प्रति सचेत भी करती है। कथानक और पात्र हमारे आस-पास के हैं। इसमें कथा का रसायन बहुत है।

    225.00
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    Meet

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    ‘मीत’ जितना यह शब्द सुंदर लगता है उतना ही इसके मायने भी। रिश्ता चाहे कोई भी हो उसका एक बड़ा-सा हिस्सा दोस्ती का होना चाहिए क्योंकि इसमें प्रेम, विश्वास और एक विशेष प्रकार का अपनत्व विद्यमान रहता है। इसीलिए यह रिश्ता व्यक्ति को टूटने नहीं देता। इस अपनत्व का खून से कोई नाता नहीं है। इसका नाता हृदय से है। यह माना जाता है कि अपना बनाने से हर कोई अपना बन जाता है। आज की इस दौड़ती-भागती दुनिया में इसकी ज़रूरत सबसे ज्यादा है। यह हर रिश्ते को पानी देता है, उसे मुरझाने नहीं देता। इस संग्रह की कविताओं में प्रेम, घर-परिवार, रिश्ते, प्रकृति और भविष्य की आशावादी आकांक्षाएँ शामिल हैं। यह कविताएँ यथार्थवादी भावभूमि की सैर कराती हैं। जीवन के छोटे-छोटे अनछूए पहलूओं को माध्यम बनाकर रची गयी यह कविताएँ आपको खुद से परिचित कराने का माध्यम बनेंगी। एक स्वागत योग्य संग्रह जिसे आपके स्नेह की आवश्यकता है।

    180.00
  • -10%

    Mulk Dar Mulk

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    मुल्क दर मुल्क में रूस, नॉर्वे, जर्मनी, ग्रीस, टर्की, कनाडा, मलेशिया, ईरान, फ़्रांस, मारीशस, चीन, थाईलैण्ड, कंबोडिया, स्पेन आदि देशों के अलग अलग शहरों के अत्यंत रोचक तथा मज़ेदार यात्रा संस्मरण जो छपने से रह गये थे, संकलित कर दिये गये हैं। इन यात्राओं में कुछ अनुभव ऐसे भी हुए जो या तो रहस्यमयी थे या भावुकता से ओतप्रोत! उन अनुभवों को भी पाठकों से बाँटा जा रहा है।

    288.00
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    Neel

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    भवेश दिलशाद जदीद दौर के ऐसे ग़ाल गो शायरों में शामिल हैं, जिन्होंने सादगी और बेबाकी को अपना र्तो सुख़न बनाया है। छोटी-छोटी, मगर बहुत दिलपज़ीर बातें कह जाने वाली यह आवाज़, बहुत सुरीली है, दिलकश और भली। अपने सपाट लहजे में जो कुछ वह कहना चाहते हैं, क़ारी (पाठक) के दिल पर सीधे असर अंदाज़ होता है।

    130.00
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    Oye Chotu

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    क्या हम में से किसी ने भी होटल या ढाबे में खाना खाते समय उस खाना परोसने वाले बच्चे से यह पूछा कि… “तुमने खाना खा लिया बेटा..?” क्या एक निवाला भी मुँह में ले सकते हैं हम, यदि हमारे बच्चे ने खाना नहीं खाया हो या वो भूखा हो? हम अति असंवेदनशील हैं। (इसी उपन्यास से)

    225.00
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    Pakistan ki Gini Chuni Urdu Kahaniyan-1

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    कोई भी चयन अपनी जगह मुकम्मल नहीं हो सकता। इस चयन की भी कुछ सीमाएं और शर्तें हैं जिनको बताना ज़रूरी है। इस चयन को पाकिस्तान में लिखे जाने वाली बेहतरीन कहानियों के संग्रह के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। ऐसी योजना के लिए कहीं ज़्यादा बड़े कैनवस और बड़े हौसले की ज़रूरत है। हमें उम्मीद है कि यह चयन अपने पाठक को पाकिस्तान की उर्दू कहानियों के बस इतने ही अध्ययन से संतुष्ट कर देने के बजाए और तलाश और अध्ययन पर उकसाएगा। संग्रह के पहले खंड में एक तरफ़ जहां भारतीय पाठकों में चिर परिचित नाम अहमद नदीम क़ासमी, इंतिज़ार हुसैन, खालिदा हुसैन, खदीजा मस्तूर, ग़ुलाम अब्बास, मंशा याद, मसऊद मुफ़्ती, मुमताज़ मुफ़्ती, बानो कुदसिया और शौकत सिद्दीक़ी की कहानियाँ शामिल की गई हैं, वहीं संग्रह के दूसरे खंड में मिसेज़ अब्दुल क़ादिर, अशफ़ाक़ अहमद, आग़ा सुहैल, आग़ा गुल, इब्राहीम जलीस, नजमुल हसन, नासिर बग़दादी, फ़िरदौस हैदर, हमीद क़ैसर और हाजिरा मसरूर की कहानियाँ को भी शामिल किया गया है।

    225.00
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    Pakistan ki Gini Chuni Urdu Kahaniyan-2

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    कोई भी चयन अपनी जगह मुकम्मल नहीं हो सकता। इस चयन की भी कुछ सीमाएं और शर्तें हैं जिनको बताना ज़रूरी है। इस चयन को पाकिस्तान में लिखे जाने वाली बेहतरीन कहानियों के संग्रह के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। ऐसी योजना के लिए कहीं ज़्यादा बड़े कैनवस और बड़े हौसले की ज़रूरत है। हमें उम्मीद है कि यह चयन अपने पाठक को पाकिस्तान की उर्दू कहानियों के बस इतने ही अध्ययन से संतुष्ट कर देने के बजाए और तलाश और अध्ययन पर उकसाएगा। संग्रह के पहले खंड में एक तरफ़ जहां भारतीय पाठकों में चिर परिचित नाम अहमद नदीम क़ासमी, इंतिज़ार हुसैन, खालिदा हुसैन, खदीजा मस्तूर, ग़ुलाम अब्बास, मंशा याद, मसऊद मुफ़्ती, मुमताज़ मुफ़्ती, बानो कुदसिया और शौकत सिद्दीक़ी की कहानियाँ शामिल की गई हैं, वहीं संग्रह के दूसरे खंड में मिसेज़ अब्दुल क़ादिर, अशफ़ाक़ अहमद, आग़ा सुहैल, आग़ा गुल, इब्राहीम जलीस, नजमुल हसन, नासिर बग़दादी, फ़िरदौस हैदर, हमीद क़ैसर और हाजिरा मसरूर की कहानियाँ को भी शामिल किया गया है।

    225.00
  • -10%
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    Parivar ki Khushi

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    लेव तोलस्तोय ने कुछ लघु उपन्यासाें की भी रचना की थी। उन रचनाओं के हिन्दी अनुवाद उपलब्ध नहीं थे। हिंदी पाठकों के लिए विदेशी साहित्य के अध्येता विवेक दुबे ने यह महति कार्य किया है। इस रचना को प्रस्तुत करते हुए हमें बहुत खुशी हो रही है।

    180.00
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    PolyKushka

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    लेव तोलस्तोय ने कुछ लघु उपन्यासाें की भी रचना की थी। उन रचनाओं के हिन्दी अनुवाद उपलब्ध नहीं थे। हिंदी पाठकों के लिए विदेशी साहित्य के अध्येता विवेक दुबे ने यह महति कार्य किया है। इस रचना को प्रस्तुत करते हुए हमें बहुत खुशी हो रही है।

    145.00
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    Punarsrijan Mein Renu

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    पूर्वज कथाकारों की कालजयी कहानियों से गुजरते हुए यह प्रश्न कई बार सामने आता है कि आज यदि वे कथाकार हमारे साथ होते और अपनी उन्हीं कहानियों को फिर से लिखते तो उनका स्वरूप क्या होता? अपने पूर्ववर्ती कथाकारों की उन खास कहानियों को बार-बार पढ़ते हुये बाद के किसी कथाकार के भीतर यह भाव आना भी अस्वाभाविक नहीं कि ‘यदि इन कहानियों को मैं लिखता तो कैसे लिखता’? अमर कथाशिल्पी फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ की छ: प्रतिनिधि कहानियों की पुनर्रचना और उनके विश्लेषण के बहाने यह पुस्तक स्वप्न, चुनौती और जोखिम से भरे ऐसे ही प्रश्नों के उत्तरों की तलाश करता है। पुनर्सृजित कहानियों का ऐसा संग्रह विश्व साहित्य के इतिहास में पहली बार प्रकाशित हो रहा है।

    269.00