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Taki Sanad Rahe

Author: Tanuja Lalas

216.00

इन कविताओं में हमारे आसपास की दुनिया के बिम्ब हैं। ये कविताएँ बताती हैं कि गाँव से निकली शहर जाने वाली सड़क वापस कभी नहीं लौटती हैं। इन कविताओं में रोहिड़े के फूल जैसे सुंदर नैसर्गिक जीवन की कामना है। मनुज ना बन पाने की टीस है। यहाँ ईश्वर एक लंबी उबाऊ गद्य कविता है। औरत अयस्कों का अजायबघर घर है। इन कविताओं में दर्द के आख्यान है वहीं खुशियों को ढूँढने के रोड मैप भी है। रोटी के अर्थशास्त्र को भूख से जोड़ा है और मज़दूर को विकास क्रम पर हाशिये पर खड़ा करके उससे सवाल पूछा जा रहा है। ये कविताएं सरलता और सहजता से कुछ सवाल भी पूछती हैं जिनके उत्तर हम सभी को देने हैं।

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Description

इन कविताओं में हमारे आसपास की दुनिया के बिम्ब हैं। ये कविताएँ बताती हैं कि गाँव से निकली शहर जाने वाली सड़क वापस कभी नहीं लौटती हैं। इन कविताओं में रोहिड़े के फूल जैसे सुंदर नैसर्गिक जीवन की कामना है। मनुज ना बन पाने की टीस है। यहाँ ईश्वर एक लंबी उबाऊ गद्य कविता है। औरत अयस्कों का अजायबघर घर है। इन कविताओं में दर्द के आख्यान है वहीं खुशियों को ढूँढने के रोड मैप भी है। रोटी के अर्थशास्त्र को भूख से जोड़ा है और मज़दूर को विकास क्रम पर हाशिये पर खड़ा करके उससे सवाल पूछा जा रहा है। ये कविताएं सरलता और सहजता से कुछ सवाल भी पूछती हैं जिनके उत्तर हम सभी को देने हैं।

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