• -10%
  • -10%
  • -20%

    House Husband on Duty

    0

    जैसे हाउस वाइफ का काम कोई नौकरी नहीं है, ठीक वैसे ही हाउस हसबैंड होना या बनना कोई करियर नहीं है। बावजूद इसके सुबह से लेकर शाम तक कोई न कोई काम लगा रहता है। कोई नोटिस करे या न करे लेकिन खुद और टांगों को पता रहता है वह ड्यूटी पर हैं। यह किताब हाउस हसबैंड के संस्मरणों का पुलिंदा है।

    239.00
  • -10%

    Jali Coupon

    0

    लेव तोलस्तोय ने कुछ लघु उपन्यासाें की भी रचना की थी। उन रचनाओं के हिन्दी अनुवाद उपलब्ध नहीं थे। हिंदी पाठकों के लिए विदेशी साहित्य के अध्येता विवेक दुबे ने यह महति कार्य किया है। इस रचना को प्रस्तुत करते हुए हमें बहुत खुशी हो रही है।

    180.00
  • -10%

    Kendra Mein Kahani

    0

    केन्द्र में कहानी राकेश बिहारी के ऐसे निबंधों का संग्रह है जो कहानी का तात्विक या दार्शनिक विवेचन नहीं करते बल्कि कहानी के कथ्य का सामाजिक संदर्भों में विश्लेषण करते हैं। पिछले बीस वर्षों की कहानियों का यह लेखा-जोखा बेहद पठनीय और गहरी अंतर्दृष्टि से कहानी कला की सार्थकता का अनुसंधान करता है। राकेश बिहारी ने जहां स्त्री अस्मिता की कहानियों का विस्तार से विश्लेषण किया है वहीं कहानियों में आये बुजुर्ग पात्रों को भी आत्मीय संवेदना से पकडऩे की कोशिश की है। कहने की जरूरत नहीं है कि ये अलग-अलग निबंध पिछले पन्द्रह वर्षों की कहानियों के बिखरे इतिहास को समेटने की कोशिश हैं। क्या ही अच्छा होता कि अगर नई कहानी या जनवादी कहानी के साथ इनकी तुलना और अलगाव के तत्वों पर भी थोड़ी बातचीत होती। तब यह संग्रह ज्यादा सम्पूर्ण होता। फिर भी अपने वर्तमान रूप में राकेश बिहारी के ये निबंध उनकी बौद्धिक सजगता और विश्लेषण की गहरी क्षमता को बेहद रोचक ढंग से हमारे सामने रखते हैं। इन्हें पढऩा कहानियों में आए विविध पात्रों, स्थितियों और समस्याओं से रूबरू होना है। -राजेन्द्र यादव

    234.00
  • -10%

    Lakeer tatha anya Kahaniyan

    0

    जिस सियासत का काम समाज को बेहतरी के रास्ते पर ले जाना था, उस सियासत का मकसद जब ख़ुद की बेहतरी तक सिमट जाए और अपनी बेहतरी के लिए वह समाज के भीतर तरह-तरह की ‘लकीर’ खींचने से भी गुरेा न करे, तो इससे आम लोगों को भले बहुत अधिक बेचैनी न हो, लेकिन अदीबों को तो होती है! चूँकि साहित्य हमेशा सुंदर का स्वप्न देखता है और अपने देशकाल और समाज से लेकर पूरी दुनिया को सुंदर देखने का हामी होता है, इसलिए सबसे यादा बेचैनी कलाकारों, अदीबों और इंसानियतपसंद लोगों को होती है. उर्दू के प्रक्चयात कथाकार तारिक़ छतारी अपनी बेहद संवेदनशील और सतर्क भाषा में लकीर की सियासत से बन रहे नये तरह के समाज में घटित होनेवाली लोमहर्षक घटना से पाठकों को झंझोड़ देते हैं. जिस देश में अनेक मुस्लिम कवियों ने भी भगवान कृष्ण को अपनी कविता और कहानी का विषय बनाया, जिस देश के लोग कण-कण में ईश्वर की उपस्थिति की बात करते हैं, उस देश में लकीर खिंच जाने के कारण कृष्ण बने के एक मासूम बालक को भीड़ सिर्फ़ इसलिए मार देती है कि उसका संबंध किसी अन्य समुदाय से है! तारिक़ छतारी समाज के इसी बदलते हुए स्वरूप को अपनी रचना का आधार बनाते हैं और अपने समुदाय से बाहर के जीवन की भी उतनी ही प्रामाणिक कहानी लिखते हैं, जितने प्रामाणिक वर्णन अपने समुदाय का करते हैं. यह प्रवृत्ति आज विरल है और विरल प्रवृत्तियों को ही रचने वाले तारिक़ साहब उर्दू के विरल कथाकार हैं!

    225.00
  • -10%

    Mali

    0

    उपन्यास के विषय में – इस उपन्यास में वर्तमान नौकरशाही के कई पक्षों को उजागर किया गया है। प्रशासन और राजनीति के सकारात्मक और नकारात्मक पहलूओं को स्पष्ट किया गया है। स्त्री स्वातंत्र्य सहित कई ज्वलंत बिन्दुओं को स्पर्श किया गया है। उपन्यास की यथार्थपरकता जहाँ हमें आज के समय से साक्षात्कार कराती है वहाँ यह आसन्न संकटों के प्रति सचेत भी करती है। कथानक और पात्र हमारे आस-पास के हैं। इसमें कथा का रसायन बहुत है।

    225.00
  • -14%

    Mulk Dar Mulk

    0

    मुल्क दर मुल्क में रूस, नॉर्वे, जर्मनी, ग्रीस, टर्की, कनाडा, मलेशिया, ईरान, फ़्रांस, मारीशस, चीन, थाईलैण्ड, कंबोडिया, स्पेन आदि देशों के अलग अलग शहरों के अत्यंत रोचक तथा मज़ेदार यात्रा संस्मरण जो छपने से रह गये थे, संकलित कर दिये गये हैं। इन यात्राओं में कुछ अनुभव ऐसे भी हुए जो या तो रहस्यमयी थे या भावुकता से ओतप्रोत! उन अनुभवों को भी पाठकों से बाँटा जा रहा है।

    275.00
  • -13%

    Neel

    0

    भवेश दिलशाद जदीद दौर के ऐसे ग़ाल गो शायरों में शामिल हैं, जिन्होंने सादगी और बेबाकी को अपना र्तो सुख़न बनाया है। छोटी-छोटी, मगर बहुत दिलपज़ीर बातें कह जाने वाली यह आवाज़, बहुत सुरीली है, दिलकश और भली। अपने सपाट लहजे में जो कुछ वह कहना चाहते हैं, क़ारी (पाठक) के दिल पर सीधे असर अंदाज़ होता है।

    140.00
  • -10%

    Oye Chotu

    2

    क्या हम में से किसी ने भी होटल या ढाबे में खाना खाते समय उस खाना परोसने वाले बच्चे से यह पूछा कि… “तुमने खाना खा लिया बेटा..?” क्या एक निवाला भी मुँह में ले सकते हैं हम, यदि हमारे बच्चे ने खाना नहीं खाया हो या वो भूखा हो? हम अति असंवेदनशील हैं। (इसी उपन्यास से)

    225.00
  • -10%

    Pakistan ki Gini Chuni Urdu Kahaniyan-1

    0

    कोई भी चयन अपनी जगह मुकम्मल नहीं हो सकता। इस चयन की भी कुछ सीमाएं और शर्तें हैं जिनको बताना ज़रूरी है। इस चयन को पाकिस्तान में लिखे जाने वाली बेहतरीन कहानियों के संग्रह के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। ऐसी योजना के लिए कहीं ज़्यादा बड़े कैनवस और बड़े हौसले की ज़रूरत है। हमें उम्मीद है कि यह चयन अपने पाठक को पाकिस्तान की उर्दू कहानियों के बस इतने ही अध्ययन से संतुष्ट कर देने के बजाए और तलाश और अध्ययन पर उकसाएगा। संग्रह के पहले खंड में एक तरफ़ जहां भारतीय पाठकों में चिर परिचित नाम अहमद नदीम क़ासमी, इंतिज़ार हुसैन, खालिदा हुसैन, खदीजा मस्तूर, ग़ुलाम अब्बास, मंशा याद, मसऊद मुफ़्ती, मुमताज़ मुफ़्ती, बानो कुदसिया और शौकत सिद्दीक़ी की कहानियाँ शामिल की गई हैं, वहीं संग्रह के दूसरे खंड में मिसेज़ अब्दुल क़ादिर, अशफ़ाक़ अहमद, आग़ा सुहैल, आग़ा गुल, इब्राहीम जलीस, नजमुल हसन, नासिर बग़दादी, फ़िरदौस हैदर, हमीद क़ैसर और हाजिरा मसरूर की कहानियाँ को भी शामिल किया गया है।

    225.00
  • -10%

    Pakistan ki Gini Chuni Urdu Kahaniyan-2

    0

    कोई भी चयन अपनी जगह मुकम्मल नहीं हो सकता। इस चयन की भी कुछ सीमाएं और शर्तें हैं जिनको बताना ज़रूरी है। इस चयन को पाकिस्तान में लिखे जाने वाली बेहतरीन कहानियों के संग्रह के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। ऐसी योजना के लिए कहीं ज़्यादा बड़े कैनवस और बड़े हौसले की ज़रूरत है। हमें उम्मीद है कि यह चयन अपने पाठक को पाकिस्तान की उर्दू कहानियों के बस इतने ही अध्ययन से संतुष्ट कर देने के बजाए और तलाश और अध्ययन पर उकसाएगा। संग्रह के पहले खंड में एक तरफ़ जहां भारतीय पाठकों में चिर परिचित नाम अहमद नदीम क़ासमी, इंतिज़ार हुसैन, खालिदा हुसैन, खदीजा मस्तूर, ग़ुलाम अब्बास, मंशा याद, मसऊद मुफ़्ती, मुमताज़ मुफ़्ती, बानो कुदसिया और शौकत सिद्दीक़ी की कहानियाँ शामिल की गई हैं, वहीं संग्रह के दूसरे खंड में मिसेज़ अब्दुल क़ादिर, अशफ़ाक़ अहमद, आग़ा सुहैल, आग़ा गुल, इब्राहीम जलीस, नजमुल हसन, नासिर बग़दादी, फ़िरदौस हैदर, हमीद क़ैसर और हाजिरा मसरूर की कहानियाँ को भी शामिल किया गया है।

    225.00