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Cinema aur Stree ki Sarhad

Author: Vibhavari

225.00

यह किताब एक लम्बी कालावधि में लिखे गए लेखों/ आलेखों और वक्तव्यों का संकलन है जिसे पढ़ते हुए इस दौर में सिनेमा और स्त्री तथा सिनेमा, साहित्य और स्त्री के बदलते संबंधों की झलक मिलती है. सिनेमा, साहित्य के बतौर पढ़े समझे जाने पर जो प्रभाव छोड़ता है उसकी एक बानगी भी यह पुस्तक देती है। कविता से लेकर शोध आलेख तक के फॉरमैट में लिखे गए आर्टिकल्स इस किताब का हिस्सा हैं जो सिनेमा को विविध नज़रिए से देखे-समझे जाने की रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं। कह सकते हैं कि यह किताब सिनेमा के प्रति एक साथ अकादमिक और सृजनात्मक रूझान बनाने-बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ा एक क़दम है।

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Description

यह किताब एक लम्बी कालावधि में लिखे गए लेखों/ आलेखों और वक्तव्यों का संकलन है जिसे पढ़ते हुए इस दौर में सिनेमा और स्त्री तथा सिनेमा, साहित्य और स्त्री के बदलते संबंधों की झलक मिलती है. सिनेमा, साहित्य के बतौर पढ़े समझे जाने पर जो प्रभाव छोड़ता है उसकी एक बानगी भी यह पुस्तक देती है। कविता से लेकर शोध आलेख तक के फॉरमैट में लिखे गए आर्टिकल्स इस किताब का हिस्सा हैं जो सिनेमा को विविध नज़रिए से देखे-समझे जाने की रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं। कह सकते हैं कि यह किताब सिनेमा के प्रति एक साथ अकादमिक और सृजनात्मक रूझान बनाने-बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ा एक क़दम है।

Additional information

Dimensions 12.7 × 20.32 × 1 cm
book-author

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