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Satyajit Ray Ka Apoorv Sansar – 1

Author: Vijay Sharma

405.00

सत्यजित राय अपनी किताब ‘अवर फिल्म, देयर फिल्म’ में भारतीय सिनेमा के विषय में कहते हैं कि ये उल्टी शिक्षा देती हैं और गुणग्राहकता से शून्य होती हैं तथा आस्वाद को विकसित नहीं करती हैं। हालाँकि राय के इस कथन से मैं पूरी तरह सहमत नहीं हूँ। राय को विश्वास था कि वे दर्शकों को इस मामले में शिक्षित कर सकते हैं। और हम पाते हैं कि उन्होंने ऐसा किया है। जैसे हम साहित्य-संगीत का आस्वाद लेने के लिए प्रशिक्षित होते हैं वैसे ही फिल्म का आनंद उठाने के लिए भी फिल्म की भाषा-मुहावरे जानना-सीखना आवश्यक है। यह पुस्तक इस दिशा में बढ़ाया गया एक छोटा-सा कदम है। आशा है सिने प्रेमियों, सिने अध्येताओं को इससे कुछ सहायता मिलेगी। उनकी सिने गुणग्राहक क्षमता में कुछ बढ़ोतरी होगी। यदि ऐसा हुआ और पुस्तक पढ़ कर फिल्म देखने की ललक जगेगी तो यह इस प्रयास की एक सफलता होगी।

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Description

सत्यजित राय अपनी किताब ‘अवर फिल्म, देयर फिल्म’ में भारतीय सिनेमा के विषय में कहते हैं कि ये उल्टी शिक्षा देती हैं और गुणग्राहकता से शून्य होती हैं तथा आस्वाद को विकसित नहीं करती हैं। हालाँकि राय के इस कथन से मैं पूरी तरह सहमत नहीं हूँ। राय को विश्वास था कि वे दर्शकों को इस मामले में शिक्षित कर सकते हैं। और हम पाते हैं कि उन्होंने ऐसा किया है। जैसे हम साहित्य-संगीत का आस्वाद लेने के लिए प्रशिक्षित होते हैं वैसे ही फिल्म का आनंद उठाने के लिए भी फिल्म की भाषा-मुहावरे जानना-सीखना आवश्यक है। यह पुस्तक इस दिशा में बढ़ाया गया एक छोटा-सा कदम है। आशा है सिने प्रेमियों, सिने अध्येताओं को इससे कुछ सहायता मिलेगी। उनकी सिने गुणग्राहक क्षमता में कुछ बढ़ोतरी होगी। यदि ऐसा हुआ और पुस्तक पढ़ कर फिल्म देखने की ललक जगेगी तो यह इस प्रयास की एक सफलता होगी।

Additional information

Weight 0.3 kg
Dimensions 21 × 14 × 2 cm
book-author

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