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यह किताब विश्व सिनेमा से लेकर क्षेत्रीय सिनेमा तक पर एक से डेढ़ दशक तक की अवधि में लिखे गए लेखों/आलेखों और वक्तव्यों का संकलन है। सिनेमा पर कविता से लेकर शोध आलेख तक के फॉर्मैट पर लिखे आर्टिकल्स इस किताब में शामिल हैं जो सिनेमा को विविध नज़रिए से देखे-समझे जाने की रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं। कह सकते हैं कि यह किताब सिनेमा के प्रति एक साथ अकादमिक और सृजनात्मक रूझान बनाने-बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ा एक क़दम है।

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