• -8%

    Mai Ri

    0

    सैद्धातिक रूप से देवी, लेकिन व्यावहारिकता में न्यूनतम मानवीय अधिकारों से भी वंचित मातृछवियाँ पितृसत्ता को हमेशा से प्रिय रही हैं। सुपरिचित कथाकार कविता की माँ केन्द्रित कहानियों का यह विशिष्ट संग्रह माँ की परम्परापोषित रूढ़ छवियों को अलग-अलग कोणों से खोलता, खँगालता और पुनर्सृजित करता है। आधुनिक, स्वप्नदर्शी और अपनी अस्मिता के प्रति सजग इन कहानियों की माँएं यंत्रचालित खिलौना होने की नियतियों को अस्वीकार करती हैं। एक प्रौढ़ा माँ द्वारा अपने अकेलेपन से ऊबकर लिया गया विवाह का निर्णय हो या एक युवा मूर्तिकार स्त्री के कुंवारी माँ बनने का निर्णय, एक अकेली कामकाजी स्त्री के गर्भपात का निर्णय हो या एक कलाकार स्त्री का मातृत्व को आनुवांशिकता की परिधि से मुक्त करने की संकल्प यात्रा…विभिन्न मातृ चरित्रों की जटिल और आधुनिक जीवन-स्थितियों से बनी ये कहानियाँ दो पीढ़ियों की स्त्रियों के चुनने और बदलने की जद्दोजहद की कहानियाँ भी हैं। माँ के निर्णय में बेटी और पोती की सहमति तथा बेटी और बहू के निर्णय में माँ और सास की सहभागिता से ये कहानियाँ पीढ़ीगत पारस्परिकता और साहचर्य की संवेदनशीलता का सर्वथा अलग और स्पर्शी प्रतिसंसार रचती हैं।

    275.00
  • -10%

    Mali

    0

    उपन्यास के विषय में – इस उपन्यास में वर्तमान नौकरशाही के कई पक्षों को उजागर किया गया है। प्रशासन और राजनीति के सकारात्मक और नकारात्मक पहलूओं को स्पष्ट किया गया है। स्त्री स्वातंत्र्य सहित कई ज्वलंत बिन्दुओं को स्पर्श किया गया है। उपन्यास की यथार्थपरकता जहाँ हमें आज के समय से साक्षात्कार कराती है वहाँ यह आसन्न संकटों के प्रति सचेत भी करती है। कथानक और पात्र हमारे आस-पास के हैं। इसमें कथा का रसायन बहुत है।

    225.00
  • -10%

    Oye Chotu

    2

    क्या हम में से किसी ने भी होटल या ढाबे में खाना खाते समय उस खाना परोसने वाले बच्चे से यह पूछा कि… “तुमने खाना खा लिया बेटा..?” क्या एक निवाला भी मुँह में ले सकते हैं हम, यदि हमारे बच्चे ने खाना नहीं खाया हो या वो भूखा हो? हम अति असंवेदनशील हैं। (इसी उपन्यास से)

    225.00
  • -10%

    Pakistan ki Gini Chuni Urdu Kahaniyan-1

    0

    कोई भी चयन अपनी जगह मुकम्मल नहीं हो सकता। इस चयन की भी कुछ सीमाएं और शर्तें हैं जिनको बताना ज़रूरी है। इस चयन को पाकिस्तान में लिखे जाने वाली बेहतरीन कहानियों के संग्रह के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। ऐसी योजना के लिए कहीं ज़्यादा बड़े कैनवस और बड़े हौसले की ज़रूरत है। हमें उम्मीद है कि यह चयन अपने पाठक को पाकिस्तान की उर्दू कहानियों के बस इतने ही अध्ययन से संतुष्ट कर देने के बजाए और तलाश और अध्ययन पर उकसाएगा। संग्रह के पहले खंड में एक तरफ़ जहां भारतीय पाठकों में चिर परिचित नाम अहमद नदीम क़ासमी, इंतिज़ार हुसैन, खालिदा हुसैन, खदीजा मस्तूर, ग़ुलाम अब्बास, मंशा याद, मसऊद मुफ़्ती, मुमताज़ मुफ़्ती, बानो कुदसिया और शौकत सिद्दीक़ी की कहानियाँ शामिल की गई हैं, वहीं संग्रह के दूसरे खंड में मिसेज़ अब्दुल क़ादिर, अशफ़ाक़ अहमद, आग़ा सुहैल, आग़ा गुल, इब्राहीम जलीस, नजमुल हसन, नासिर बग़दादी, फ़िरदौस हैदर, हमीद क़ैसर और हाजिरा मसरूर की कहानियाँ को भी शामिल किया गया है।

    225.00
  • -10%

    Pakistan ki Gini Chuni Urdu Kahaniyan-2

    0

    कोई भी चयन अपनी जगह मुकम्मल नहीं हो सकता। इस चयन की भी कुछ सीमाएं और शर्तें हैं जिनको बताना ज़रूरी है। इस चयन को पाकिस्तान में लिखे जाने वाली बेहतरीन कहानियों के संग्रह के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। ऐसी योजना के लिए कहीं ज़्यादा बड़े कैनवस और बड़े हौसले की ज़रूरत है। हमें उम्मीद है कि यह चयन अपने पाठक को पाकिस्तान की उर्दू कहानियों के बस इतने ही अध्ययन से संतुष्ट कर देने के बजाए और तलाश और अध्ययन पर उकसाएगा। संग्रह के पहले खंड में एक तरफ़ जहां भारतीय पाठकों में चिर परिचित नाम अहमद नदीम क़ासमी, इंतिज़ार हुसैन, खालिदा हुसैन, खदीजा मस्तूर, ग़ुलाम अब्बास, मंशा याद, मसऊद मुफ़्ती, मुमताज़ मुफ़्ती, बानो कुदसिया और शौकत सिद्दीक़ी की कहानियाँ शामिल की गई हैं, वहीं संग्रह के दूसरे खंड में मिसेज़ अब्दुल क़ादिर, अशफ़ाक़ अहमद, आग़ा सुहैल, आग़ा गुल, इब्राहीम जलीस, नजमुल हसन, नासिर बग़दादी, फ़िरदौस हैदर, हमीद क़ैसर और हाजिरा मसरूर की कहानियाँ को भी शामिल किया गया है।

    225.00
  • -10%

    Parivar ki Khushi

    0

    लेव तोलस्तोय ने कुछ लघु उपन्यासाें की भी रचना की थी। उन रचनाओं के हिन्दी अनुवाद उपलब्ध नहीं थे। हिंदी पाठकों के लिए विदेशी साहित्य के अध्येता विवेक दुबे ने यह महति कार्य किया है। इस रचना को प्रस्तुत करते हुए हमें बहुत खुशी हो रही है।

    180.00
  • -10%

    PolyKushka

    0

    लेव तोलस्तोय ने कुछ लघु उपन्यासाें की भी रचना की थी। उन रचनाओं के हिन्दी अनुवाद उपलब्ध नहीं थे। हिंदी पाठकों के लिए विदेशी साहित्य के अध्येता विवेक दुबे ने यह महति कार्य किया है। इस रचना को प्रस्तुत करते हुए हमें बहुत खुशी हो रही है।

    144.00
  • -8%

    Punarsrijan Mein Renu

    0

    पूर्वज कथाकारों की कालजयी कहानियों से गुजरते हुए यह प्रश्न कई बार सामने आता है कि आज यदि वे कथाकार हमारे साथ होते और अपनी उन्हीं कहानियों को फिर से लिखते तो उनका स्वरूप क्या होता? अपने पूर्ववर्ती कथाकारों की उन खास कहानियों को बार-बार पढ़ते हुये बाद के किसी कथाकार के भीतर यह भाव आना भी अस्वाभाविक नहीं कि ‘यदि इन कहानियों को मैं लिखता तो कैसे लिखता’? अमर कथाशिल्पी फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ की छ: प्रतिनिधि कहानियों की पुनर्रचना और उनके विश्लेषण के बहाने यह पुस्तक स्वप्न, चुनौती और जोखिम से भरे ऐसे ही प्रश्नों के उत्तरों की तलाश करता है। पुनर्सृजित कहानियों का ऐसा संग्रह विश्व साहित्य के इतिहास में पहली बार प्रकाशित हो रहा है।

    275.00
  • -8%
  • -10%

    Tang Galiyon Se Bhi Dikhta Hai Akash

    0

    यह स्त्रियों की मार्फत मानव सभ्यता और मानव ङ्क्षचतन का कहानी संकलन है। हमारा सौभाग्य है कि ङ्क्षहदी में ऐसा संकलन हमारे हाथ में यादवेंद्र जी ने दिया।इस संकलन में सभी विदेशी कहानियां हैं पर शीर्षक भारतीय स्त्री के संदर्भ में सोचा गया है। मैं इसे भारतीय स्त्री-विमर्श की एक कड़ी मानता हूँ। —लीलाधर जगूड़ी
    मेरा मानना है कि हिंदी में ही नहीं बल्कि भारतीय भाषाओं में अब तक अनूदित कहानियों के जितने संकलन हैं उनमें यह किताब इसलिए विशिष्ट है क्योंकि पहली बार छह महादेशों के 25 देशों की 27 स्त्री कहानीकारों की कहानियां इसमें शामिल हैं। दुनिया का कोई प्रश्न ऐसा नहीं है जो इसमें शामिल न किया गया हो। —प्रो. रविभूषण

    360.00
  • -10%

    Tum Zindagi Ka Namak Ho

    0

    तुम्हारी स्मृतियाँ इतनी गहरी हैं, जैसे नये-नकोर मकान पर कोई बच्चा ईंट के टुकडे से गुस्से में अपना नाम लिख दे। जैसे अलभोर ने रचा है धुंधलको को। रात रचती है सुबह की रोशनी। हर प्रेम रचता है अथवा यूँ कहेंं रचेगा आँसू। आज मेरे यार की शादी है, बैंड में नाच रहे होते हैं कुछ लोग। मगर कहीं दूर सूड़क रही होती है कोई नाक को। आँसू, जो दजला-फरात बनकर उसके गले में भर आए हैं। रोती है बाथरूम में जाकर जार-जार। -इसी किताब से

    108.00
  • -10%

    Vaya Gurgaon

    0

    सुमन ने कहा कि कर दी ना सीधी सट्ट जाटोंवाली बात! महेंद्र ने कहा– क्‍यों जची नहीं क्‍या, सुमन ने कहा– जाटणी हूं, जी में आ जाए तो क्‍या नी जचे। और ना जचे तो भगवान भी नहीं जचा सके। वैसे बात तो सयाणी करी है। सोचने दो महेंद्र सिहाग जी। वैसे, गोदारों का जवाईं बनने का सुख भी आसानी से नहीं मिलता। –इसी उपन्यास से

    108.00