Description
मराठी स्त्री कविता का हिंदी में अनुदित यह संकलन 1975 के आसपास एवं उसके पश्चात् की कवयित्रियों का एक मुक़्क़मल दस्तावेज़ है। इन कविताओं का अर्थ संपृक्त हिंदी अनुवाद सुनीता डागा ने किया है जो ख़ुद एक कवि है| वारकरी सम्प्रदाय की मुक्ताबाई, जनाबाई आदि संत कवयित्रियों के साथ-साथ 20वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में लिखनेवाली समकालीन मराठी स्त्री कविता की सबल स्त्रियों की लेखनी से फलती-फूलती हुई वर्तमान युवा कवयित्रियों के शानदार योगदान तक आकर खड़ी हो जाती है। इस संग्रह की 29 स्त्री कवियों की कविताओं से गुजरते हुए लगता रहा कि लगातार हम कोई शहर पार कर रहे हैं, कोई नदी लाँघ रहे हैं, कोई आकाश खोल रहे हैं, कोई जंगल पास आ रहा है और स्त्रियां इन सबसे निकल इनसे गुजरने के अनुभवों को अपने भीतर किसी कीमती धाती की तरह सँभाले नया संसार गढ़ने जा रही हैं। मराठी स्त्री कविता का यह संकलन बहुत सुन्दर और दिलो-दिमाग को सुकून देनेवाला है। इसे कोई भी अपनी किताबों की अलमारी में रखना चाहेगा। एक साथ इतने चमकते सितारे कौन नहीं अपने मन-मस्तिष्क के आकाश में जगमगाने देगा।
–सविता सिंह, वरिष्ठ कवयित्री
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