Description
भवेश दिलशाद जदीद दौर के ऐसे ग़ाल गो शायरों में शामिल हैं, जिन्होंने सादगी और बेबाकी को अपना र्तो सुख़न बनाया है। छोटी-छोटी, मगर बहुत दिलपज़ीर बातें कह जाने वाली यह आवाज़, बहुत सुरीली है, दिलकश और भली। अपने सपाट लहजे में जो कुछ वह कहना चाहते हैं, क़ारी (पाठक) के दिल पर सीधे असर अंदाज़ होता है।
तेरे गले लगूं कब तक यूं एहतियातन मैं
लिपट जा मुझसे कभी बदहवास होकर भी
यूं तो ज़िन्दगी भर हम बनते हैं संवरते है
कितने हैं जो आख़िर में क़ायदे से मरते हैं
पापाजी से कहना चाहा जाने मैंने कितनी बार
मुझमेंज़ियादा हैं ममीजी उनसे कुछ कम पापाजी
ये अशआर ज़ाहिर करते हैं कि यह एक साफ़ गो, दिलनवाज़ और सीधी बात कहने के आदी शायर की ज़बान है। भवेश दिलशाद ने जो कहा, जो लिखा, उसका एहसास और उसका दर्द अपने दिल में महसूस किया। दुनिया को प्यार की, मोहब्बत की निगाह से देखा और अहले दुनिया को भी। अपने ख़ास अंदाज़ में वह इश्क़, मोहब्बत, दर्द, वफ़ा, रिश्तों और समाजियात पर बात करते हैं। मैं समझता हूं कि भवेश दिलशाद की शाइरी के मजमूए का बहुत ख़ैरमक़दम किया जाना चाहिए। -शारिक़ कैफ़ी
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