Description
‘पुस्तकनामा’ से प्रकाशित यह संचयन कई मायनों में विशिष्ट है। इसमें बहुत वरिष्ठ से लेकर युवा तक 25 प्रखर स्त्री कवियों ने अपनी श्रद्धांजलियाँ लिखी हैं। ये संस्मरण कुछ वहाँ से नहीं लिखे गए हैं जहाँ, दिनों-महीनों का समय लेकर लेखक तमाम काट-छाँट कर अपने आपको पॉलिटिकली करेक्ट रखते हुए, कलात्मकता की रेह से माँज कर एक संस्मरण लिखता है। ये एक प्रिय कवि के न रहने के अकस्मात आघात के विक्षोभ से उठी तरंगें हैं जिन्होंने सपूर्ण हिंदी समाज को हिला दिया था। ये शोक व स्मृति के ऐसे आवेगपूर्ण अनछुए उद्गार हैं कि बेहद महत्वपूर्ण पहला संस्मरण मंगलेश जी के अवसान के छठें ही दिन हाथ में आ गया था। और यही तात्कालिकता इसका सौंदर्य है।
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