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Vishvayuddh Aur Czech Sahitya

Author: Maheshwar
SKU: 68719074

315.00

तत्कालीन चेकोस्लोवाकिया और सप्रति चेक गणराज्य के ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर बदलाव के कई पड़ाव आए हैं जिसे चेक साहित्य में तलाशा जा सकता है। इस राष्ट्र ने विश्वयुद्ध की त्रासदी और नाज़ियों की तानाशाही को सहा है; जिसका प्रत्यक्षऔर अप्रत्यक्ष प्रभाव उनके साहित्य पर भी पड़ा। चेक साहित्यकारों ने अपनी सकारात्मक भूमिका निभाते हुए विश्‍व साहित्य को समृद्ध किया और कई कालजयी कृतियाँ दीं। विश्वयुद्ध कालीन लेखकों में मुख्य रूप से शामिल जोसेफ श्कवोरेस्की, यान ओत्चेनाशेक, मिलान कुन्देरा,कारेल चापेक, फ्रांत्स काफ्का, जुलियस फ़्यूचिक, ईवान क्लीमा, यारोस्लाव साइफ़र्त, यारोस्लाव हासेक, यारोस्लाव फोगलर, ईरी वोल्कर, वॉस्लाव हावेल ने चेक साहित्य को एक नया तेवर प्रदान किया है। लेखक ने इस पुस्तक में चेक साहित्य पर विश्वयुद्ध के प्रभावों का अध्ययन किया है जिसके माध्यम से पाठक का परिचय एक नये संसार से होगा।

Description

तत्कालीन चेकोस्लोवाकिया और सप्रति चेक गणराज्य के ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर बदलाव के कई पड़ाव आए हैं जिसे चेक साहित्य में तलाशा जा सकता है। इस राष्ट्र ने विश्वयुद्ध की त्रासदी और नाज़ियों की तानाशाही को सहा है; जिसका प्रत्यक्षऔर अप्रत्यक्ष प्रभाव उनके साहित्य पर भी पड़ा। चेक साहित्यकारों ने अपनी सकारात्मक भूमिका निभाते हुए विश्‍व साहित्य को समृद्ध किया और कई कालजयी कृतियाँ दीं। विश्वयुद्ध कालीन लेखकों में मुय रूप से शामिल जोसेफ श्कवोरेस्की, यान ओत्चेनाशेक, मिलान कुन्देरा,कारेल चापेक, फ्रांत्स काफ्का, जुलियस फ़्यूचिक, ईवान क्लीमा, यारोस्लाव साइफ़र्त, यारोस्लाव हासेक, यारोस्लाव फोगलर, ईरी वोल्कर, वॉस्लाव हावेल ने चेक साहित्य को एक नया तेवर प्रदान किया है। लेखक ने इस पुस्तक में चेक साहित्य पर विश्वयुद्ध के प्रभावों का अध्ययन किया है जिसके माध्यम से पाठक का परिचय एक नये संसार से होगा।

Additional information

Weight .250 kg
Dimensions 13 × 21 × .5 cm

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