• Pustaknama Sahitya Varshiki 2023

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    साहित्य, कला और विचार की पारस्परिकता से निर्मित ‘पुस्तकनामा’ का यह वार्षिक आयोजन, जिसके प्रथमांक को हमने ‘चेतना का देश-राग’ नाम दिया है, ऐसी ही रचनायात्राओं की शृंखला में एक नई कड़ी की तरह जुड़ रहा है। हमारे समय की प्रतिनिधि रचनाशीलता की विश्वसनीय आवाजों को समेटे लगभग तीन सौ पृष्ठों की यह पत्रिका विश्व पुस्तक मेले में आपके हाथों में होगी।

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    Tang Galiyon Se Bhi Dikhta Hai Akash

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    यह स्त्रियों की मार्फत मानव सभ्यता और मानव ङ्क्षचतन का कहानी संकलन है। हमारा सौभाग्य है कि ङ्क्षहदी में ऐसा संकलन हमारे हाथ में यादवेंद्र जी ने दिया।इस संकलन में सभी विदेशी कहानियां हैं पर शीर्षक भारतीय स्त्री के संदर्भ में सोचा गया है। मैं इसे भारतीय स्त्री-विमर्श की एक कड़ी मानता हूँ। —लीलाधर जगूड़ी
    मेरा मानना है कि हिंदी में ही नहीं बल्कि भारतीय भाषाओं में अब तक अनूदित कहानियों के जितने संकलन हैं उनमें यह किताब इसलिए विशिष्ट है क्योंकि पहली बार छह महादेशों के 25 देशों की 27 स्त्री कहानीकारों की कहानियां इसमें शामिल हैं। दुनिया का कोई प्रश्न ऐसा नहीं है जो इसमें शामिल न किया गया हो। —प्रो. रविभूषण

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    Bacha Rahe Sparsh

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    ‘पुस्तकनामा’ से प्रकाशित यह संचयन कई मायनों में विशिष्ट है। इसमें बहुत वरिष्ठ से लेकर युवा तक 25 प्रखर स्त्री  कवियों ने अपनी श्रद्धांजलियाँ लिखी हैं। ये संस्मरण कुछ वहाँ से नहीं लिखे गए हैं जहाँ, दिनों-महीनों का समय लेकर लेखक तमाम काट-छाँट कर अपने आपको पॉलिटिकली करेक्ट रखते हुए, कलात्मकता की रेह से माँज कर एक संस्मरण लिखता है। ये एक प्रिय कवि के न रहने के अकस्मात आघात के विक्षोभ से उठी तरंगें हैं जिन्होंने सपूर्ण हिंदी समाज को हिला दिया था। ये शोक व स्मृति के ऐसे आवेगपूर्ण अनछुए उद्‌गार हैं कि बेहद महत्वपूर्ण पहला संस्मरण मंगलेश जी के अवसान के छठें ही दिन हाथ में आ गया था। और यही तात्कालिकता इसका सौंदर्य है।

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