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    Yatna Shivir Mein Sathinein

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    कवि जॉन गुजलॉव्स्की के युवा कवि देवेश पथ सारिया द्वारा अनूदित इस कविता संग्रह का पहला खण्ड युद्ध और यातना के अनुभवों पर आधारित है। इस पुस्तक के दूसरे खण्ड में अमेरिकी जीवन है। यहाँ भी कवि की रचना-प्रक्रिया पर युद्ध की छाया देखी जा सकती है। यह युद्धग्रस्तता ही है कि आदमी अपनी क्षमता के बरअक्स पेड़ों के जीवन को स्थिर और ईश्वर की तरह स्थितप्रज्ञ देखता है। तीसरे खण्ड की कविताओं में जापानी बौद्ध भिक्षु इक्यु की यात्रा है। ‌इन कविताओं में दक्षिण-पूर्व एशियाई कविता शैली और लयात्मकता लक्षित होती है। इक्यु की काव्य कथाओं को पढ़ते हुए कुछ शिक्षाप्रद ज़ेन कथाएँ याद आती हैं। देखा जाए तो संग्रह का पहला खण्ड जहाँ युद्ध की छाया से पटा है, वहीं तीसरे व अंतिम खण्ड में शांति विराज रही है। युद्ध और शांति के बीच के दूसरे खण्ड में इन दोनों छोरों को छूता जीवन है, जिसमें प्रेम और प्रकृति के रंग भरे हैं।

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    Thaka Suraj Chamakta hai

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    लंबी कविता आधुनिक साहित्य का वैकल्पिक खंडकाव्य है। इसकी शुरुआत क्यों हुई, यह विचारणीय मुद्दा है। ध्यान खींचने योग्य तथ्य है, कि यह उपविधा के रुप में महाकाव्यों के लगभग अवसान के पश्चात प्रकट हुई। 20वीं सदी में बृहद उपन्यासों को जीवन का महाकाव्यात्मक आयान कहा गया, जो कि तर्कपूर्ण भी है। सही अर्थों में उपन्यास ही महाकाव्य के विकल्प सिद्ध होते हैं, अन्य कोई भी विधा नहीं। इस नजरिए से ल़ंबी कविता की अपनी अलग विशिष्टता, पहचान और  प्रकृति है। लंबी कविता कविता का ही बहुदिशात्मक विस्तार है। वर्तमान की कुरुपताओं को मात देकर भविष्य के लिए प्रशस्त जनपथ का निर्माण करना लंबी कविता का मूलभूत दायित्व है। यह संग्रह निश्‍चय ही अपनी धारा प्रशस्त करेगा।

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    The Mirror of Love

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    It is said that love in itself is the greatest resistance. In this arduous time when language is also gradually becoming a tool for spreading hatred and discrimination, we have to return to the language of love again and again. The poetry collection of renowned  poet Vimal Kumar is a conscious and poignant endeavour to return to the lost language of humanity while exploring the numerous shades of love.

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    Loving my dead wife

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    Nam beatae reprehenderit est odio. Perspiciatis recusandae voluptatibus eveniet alias accusantium voluptatem ea. Ut sapiente quia voluptates eum molestiae autem doloremque. Est a et libero.

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    Khet Poochate Hain

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    Mujhe Patang ho jana hai

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    Hawa ki Nadi Mein

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    हिन्दी के वरिष्ठ कवि उपेन्द्र कुमार वस्तुतः अधिकार, प्यार, असंगत व्यवस्था को धिक्कार, जनजीवन के परिष्कार, चेतना के उभार और उपादेय परम्परा के स्वीकार के कवि हैं। ये सभी समुज्ज्वल भाव उनकी कविताओं में हर स्थिति में रेखांकित होते हैं। उनकी कविताओं में चिड़िया, पहाड़, पर्वत, नदी, रिश्ते, लिवास, नाम, पहचान, घर, अन्धकार-विरोध, व्यवस्था-विरोध, संचार…जैसे प्रसंगों को पूरी अर्थवत्ता के साथ जगह मिलती है। इनके मूलार्थ आहत करनेवालों पर वे आँखें तरेरते हैं। उनके जनसरोकार और उनकी काव्य-दृष्टि विस्तृत विवेचन की हकदार है।

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    Hath Tatha Anya Kavita

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    Cupiditate voluptatem earum iure nam laudantium. Saepe dolorem ea occaecati eius.

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    Hindi Kavita Ka Uttarpoorv

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    इस संग्रह में संकलित कवियों की कविताओं के स्वरों को पढ़कर बहुत हद तक आप तीन मुय सवालों के उत्तर भी तलाश सकते हैं। एक यह कि इन कवियों के कविता लेखन की वास्तविक पृष्ठभूमि क्या है? दूसरा यह कि मुयधारा के कविता स्वर से इनकी कविता का स्वर कहां तक मेल खाता है? और तीसरा यह कि उत्तर-पूर्व के कवियों की कविताओं का स्वर क्या है? इस संग्रह को निकालने के पीछे इन्हीं मुय तीन सवालों से टकराने तथा पूर्वोत्तर में रहकर हिंदी कविता लेखन कर रहे कवियों की कविताओं से हिंदी की मुयधारा की काव्य-संवेदना से जोड़ने का भी प्रयास किया गया है। इसलिए ध्यान परिमाण की बजाय कविता की विविधता पर रहा है।

    150.00