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    Cinema aur Stree ki Sarhad

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    यह किताब एक लम्बी कालावधि में लिखे गए लेखों/ आलेखों और वक्तव्यों का संकलन है जिसे पढ़ते हुए इस दौर में सिनेमा और स्त्री तथा सिनेमा, साहित्य और स्त्री के बदलते संबंधों की झलक मिलती है. सिनेमा, साहित्य के बतौर पढ़े समझे जाने पर जो प्रभाव छोड़ता है उसकी एक बानगी भी यह पुस्तक देती है। कविता से लेकर शोध आलेख तक के फॉरमैट में लिखे गए आर्टिकल्स इस किताब का हिस्सा हैं जो सिनेमा को विविध नज़रिए से देखे-समझे जाने की रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं। कह सकते हैं कि यह किताब सिनेमा के प्रति एक साथ अकादमिक और सृजनात्मक रूझान बनाने-बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ा एक क़दम है।

    225.00
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    Cinema Ke Bahane

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    225.00
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    Satyajit Ray Ka Apoorv Sansar – 1

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    सत्यजित राय अपनी किताब ‘अवर फिल्म, देयर फिल्म’ में भारतीय सिनेमा के विषय में कहते हैं कि ये उल्टी शिक्षा देती हैं और गुणग्राहकता से शून्य होती हैं तथा आस्वाद को विकसित नहीं करती हैं। हालाँकि राय के इस कथन से मैं पूरी तरह सहमत नहीं हूँ। राय को विश्वास था कि वे दर्शकों को इस मामले में शिक्षित कर सकते हैं। और हम पाते हैं कि उन्होंने ऐसा किया है। जैसे हम साहित्य-संगीत का आस्वाद लेने के लिए प्रशिक्षित होते हैं वैसे ही फिल्म का आनंद उठाने के लिए भी फिल्म की भाषा-मुहावरे जानना-सीखना आवश्यक है। यह पुस्तक इस दिशा में बढ़ाया गया एक छोटा-सा कदम है। आशा है सिने प्रेमियों, सिने अध्येताओं को इससे कुछ सहायता मिलेगी। उनकी सिने गुणग्राहक क्षमता में कुछ बढ़ोतरी होगी। यदि ऐसा हुआ और पुस्तक पढ़ कर फिल्म देखने की ललक जगेगी तो यह इस प्रयास की एक सफलता होगी।

    405.00
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    Satyajit Ray Ka Apoorv Sansar – 2

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    सत्यजित राय अपनी किताब ‘अवर फिल्म, देयर फिल्म’ में भारतीय सिनेमा के विषय में कहते हैं कि ये उल्टी शिक्षा देती हैं और गुणग्राहकता से शून्य होती हैं तथा आस्वाद को विकसित नहीं करती हैं। हालाँकि राय के इस कथन से मैं पूरी तरह सहमत नहीं हूँ। राय को विश्वास था कि वे दर्शकों को इस मामले में शिक्षित कर सकते हैं। और हम पाते हैं कि उन्होंने ऐसा किया है। जैसे हम साहित्य-संगीत का आस्वाद लेने के लिए प्रशिक्षित होते हैं वैसे ही फिल्म का आनंद उठाने के लिए भी फिल्म की भाषा-मुहावरे जानना-सीखना आवश्यक है। यह पुस्तक इस दिशा में बढ़ाया गया एक छोटा-सा कदम है। आशा है सिने प्रेमियों, सिने अध्येताओं को इससे कुछ सहायता मिलेगी। उनकी सिने गुणग्राहक क्षमता में कुछ बढ़ोतरी होगी। यदि ऐसा हुआ और पुस्तक पढ़ कर फिल्म देखने की ललक जगेगी तो यह इस प्रयास की एक सफलता होगी।

    430.00
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