Availability: In Stock

Samvad Path

180.00

अंबरीश त्रिपाठी हमारे समय के एक संभावनाशील युवा आलोचक हैं। कृति, कृतित्व और उसका युगबोध इस लेखक के लिए निकट और सापेक्षतामूलक विधान हैं। विषय को ऐसे विस्तृत गतिशील परिप्रेक्ष्य से ग्रहण करना कि वह अपनी सर्वकालिक मूल्यचेतना में आलोकित होकर सामने आए, किसी भी आलोचक के आलोचनात्मक विवेक का सबसे ज़रूरी पक्ष है। साहित्य और संस्कृति के विषय गहरे सांस्कृतिक नैरंतर्य का साक्ष्य होते हैं और इस निरंतरता के प्रकाश की नवैयतें देशकाल के अनुसार बदल कर भी जीवन मूल्यों के हिसाब से भीतर कहीं गहरी एकतानता में हुआ करती हैं। ‘संवाद पथ’ के आलोचनात्मक आलेखों में ऐसा ही वैविध्य मिलता है तथा एकता का रंग भी यही है। यहां राम हैं, भक्ति युग है, गांधी हैं, टैगोर हैं तो विनोद कुमार शुक्ल भी हैं। आलोचनात्मक विश्लेषण के लिए चुने गए विषय होकर आए ये सीमित पाठ भर नहीं हैं । यहां यह रेखांकित है कि समाज और संस्कृति की गतिशील लोकपक्षीयता का मूल्य ही वह कसौटी है जिससे व्यापक स्वीकार्यता तय होती है। इस किताब की भाषा ने बहुत आश्वस्त किया है। इसमें चिंतन विश्लेषण का प्रवाही रंग है। साहित्य के कोमल मानवीय आयामों का लालित्य संभालने वाली खूबी तो है ही,साथ ही एक मौलिक उठान भी है जो हमें विषय के सुंदरतम पक्षों से जोड़ती चलती है।

Description

अंबरीश त्रिपाठी हमारे समय के एक संभावनाशील युवा आलोचक हैं। कृति, कृतित्व और उसका युगबोध इस लेखक के लिए निकट और सापेक्षतामूलक विधान हैं। विषय को ऐसे विस्तृत गतिशील परिप्रेक्ष्य से ग्रहण करना कि वह अपनी सर्वकालिक मूल्यचेतना में आलोकित होकर सामने आए, किसी भी आलोचक के आलोचनात्मक विवेक का सबसे ज़रूरी पक्ष है। साहित्य और संस्कृति के विषय गहरे सांस्कृतिक नैरंतर्य का साक्ष्य होते हैं और इस निरंतरता के प्रकाश की नवैयतें देशकाल के अनुसार बदल कर भी जीवन मूल्यों के हिसाब से भीतर कहीं गहरी एकतानता में हुआ करती हैं। ‘संवाद पथ’ के आलोचनात्मक आलेखों में ऐसा ही वैविध्य मिलता है तथा एकता का रंग भी यही है। यहां राम हैं, भक्ति युग है, गांधी हैं, टैगोर हैं तो विनोद कुमार शुक्ल भी हैं। आलोचनात्मक विश्लेषण के लिए चुने गए विषय होकर आए ये सीमित पाठ भर नहीं हैं । यहां यह रेखांकित है कि समाज और संस्कृति की गतिशील लोकपक्षीयता का मूल्य ही वह कसौटी है जिससे व्यापक स्वीकार्यता तय होती है। इस किताब की भाषा ने बहुत आश्वस्त किया है। इसमें चिंतन विश्लेषण का प्रवाही रंग है। साहित्य के कोमल मानवीय आयामों का लालित्य संभालने वाली खूबी तो है ही,साथ ही एक मौलिक उठान भी है जो हमें विषय के सुंदरतम पक्षों से जोड़ती चलती है।
—प्रो. चंद्रकला त्रिपाठी, कथाकार एवं समालोचक

Additional information

book-author

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Samvad Path”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like…