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Kahkaha

Author: Sandeep Mishra

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इस उपन्यास की कहानी एक काल्पनिक भविष्य में घटित होती है, जहाँ एक डायस्टोपियन समाज सर्वसत्तावाद के शासन में जीता है। इस समाज में, सामूहिक निगरानी सर्वव्यापी है और लोगों के व्यवहारों पर कड़ा नियंत्रण रखा जाता है। इस सर्वसत्ता का शासन ‘ट्रस्ट’ नामक एक सत्ता के हाथ में है, जो लोगों के जीवन के हर पहलू को एक्सट्रीम कडाई के साथ नियंत्रित करता है। इस सत्ता में हिंसा को मनोरंजन माना जाता है, ट्रस्ट ने नागरिकों से दो वादे किए हैं: पहला ट्रस्ट की सत्ता में किसी भी नागरिक की मृत्यु नहीं होगी। और दूसरा ट्रस्ट की सत्ता में उसके समर्पित नागरिकों का मनोरंजन हमेशा जारी रहेगा। इन वादों के बदले में, ट्रस्ट नागरिकों से पूर्ण समर्पण की मांग करता है, जो कि अनिवार्य है। ट्रस्ट के समाज में, सभी मानवीय मूल्यों,भावनाओं, रिश्तों और पारिवारिक अवधारणाओं को समाप्त कर दिया गया है। यहां तक कि प्रेम पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। ऐसे माहौल में, कहानी का नायक आनंद प्रकाश, जो हाल ही में जेल से रिहा हुआ है। नायिका वेदांती के प्रेम में पड़ जाता है। इन दोनों का प्रेम ही सत्ता के विरोध का कारण बन जाता है।

Description

इस उपन्यास की कहानी एक काल्पनिक भविष्य में घटित होती है, जहाँ एक डायस्टोपियन समाज सर्वसत्तावाद के शासन में जीता है। इस समाज में, सामूहिक निगरानी सर्वव्यापी है और लोगों के व्यवहारों पर कड़ा नियंत्रण रखा जाता है। इस सर्वसत्ता का शासन ‘ट्रस्ट’ नामक एक सत्ता के हाथ में है, जो लोगों के जीवन के हर पहलू को एक्सट्रीम कडाई के साथ नियंत्रित करता है। इस सत्ता में हिंसा को मनोरंजन माना जाता है, ट्रस्ट ने नागरिकों से दो वादे किए हैं: पहला ट्रस्ट की सत्ता में किसी भी नागरिक की मृत्यु नहीं होगी। और दूसरा ट्रस्ट की सत्ता में उसके समर्पित नागरिकों का मनोरंजन हमेशा जारी रहेगा। इन वादों के बदले में, ट्रस्ट नागरिकों से पूर्ण समर्पण की मांग करता है, जो कि अनिवार्य है। ट्रस्ट के समाज में, सभी मानवीय मूल्यों,भावनाओं, रिश्तों और पारिवारिक अवधारणाओं को समाप्त कर दिया गया है। यहां तक कि प्रेम पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। ऐसे माहौल में, कहानी का नायक आनंद प्रकाश, जो हाल ही में जेल से रिहा हुआ है। नायिका वेदांती के प्रेम में पड़ जाता है। इन दोनों का प्रेम ही सत्ता के विरोध का कारण बन जाता है।

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