Description
जैसे हाउस वाइफ का काम कोई नौकरी नहीं है, ठीक वैसे ही हाउस हसबैंड होना या बनना कोई करियर नहीं है। बावजूद इसके सुबह से लेकर शाम तक कोई न कोई काम लगा रहता है। कोई नोटिस करे या न करे लेकिन खुद और टांगों को पता रहता है वह ड्यूटी पर हैं। यह किताब हाउस हसबैंड के संस्मरणों का पुलिंदा है।
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