Description
इसमें आश्चर्य करने वाली बात नहीं है कि एक कवि गाँधीजी को याद करता है। हिंसा का जो विद्रूप चेहरा आज पूरी दुनिया को डरा रहा है उसके सामने अहिंसा ही अपने पग रोक सकती है। इसके लिए ज़रूरी है व्यक्तियों के मन में दबे हुए आत्मबल को जगाने की। बापू जिन जीवन मूल्यों को लेकर जिए उनको फिर से चेतन करने का वक़्त है। कोई भी समाज मूल्यों के बिना जीवित नहीं रह सकता। यह संकट वर्तमान का संकट नहीं है, यह तो आने वाली पीढ़ियों के भविष्य का संकट है। कविता हमेशा भविष्य को परिभाषित करती है जिसकी साख भारतीय कविता परम्परा भरती है। उसी काव्य परम्परा की एक सबल धारा है राजस्थानी कविता परम्परा और उस परम्परा का एक योग्य कवि इन कविताओं के मिस अपनी समृद्ध भाषा-परम्परा की विविध छवियों को पाठकों को सौंप रहा है।
–अर्जुनदेव चारण, प्रख्यात राजस्थानी कवि-नाटककार
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