यह स्त्रियों की मार्फत मानव सभ्यता और मानव ङ्क्षचतन का कहानी संकलन है। हमारा सौभाग्य है कि ङ्क्षहदी में ऐसा संकलन हमारे हाथ में यादवेंद्र जी ने दिया।इस संकलन में सभी विदेशी कहानियां हैं पर शीर्षक भारतीय स्त्री के संदर्भ में सोचा गया है। मैं इसे भारतीय स्त्री-विमर्श की एक कड़ी मानता हूँ। —लीलाधर जगूड़ी
मेरा मानना है कि हिंदी में ही नहीं बल्कि भारतीय भाषाओं में अब तक अनूदित कहानियों के जितने संकलन हैं उनमें यह किताब इसलिए विशिष्ट है क्योंकि पहली बार छह महादेशों के 25 देशों की 27 स्त्री कहानीकारों की कहानियां इसमें शामिल हैं। दुनिया का कोई प्रश्न ऐसा नहीं है जो इसमें शामिल न किया गया हो। —प्रो. रविभूषण