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    Chuninda Kahaniyan : Deepak Sharma

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    दीपक शर्मा की उपस्थिति हिंदी कथाजगत को समृद्ध करती है। जीवन का शायद ही कोई क्षेत्र हो जो दीपक शर्मा की कहानियों से छूटा हो। समाज के दलित, वंचित और उपेक्षित वर्ग का पक्ष, किसी शब्दाडम्बर के बिना शायद ही किसी ने इन जैसे प्रभावी रूप में प्रस्तुत किया हो। इनकी रचनाओं का परिवेश जितना व्यापक है, उतना ही प्रामाणिक भी। ऐसी प्रामाणिकता हिंदी में कहीं और नहीं दिखती है, और न ही वैसा विस्तार। दीपक शर्मा के पात्र, विशेषकर नारीपात्र आत्मविश्वासी और दृढ़ हैं। ऐसा नहीं कि वे विजेता ही हों, लेकिन वीर योद्धा अवश्य हैं। इस संग्रह की कहानियाँ मर्मस्पर्शी तो हैं ही साथ ही मार्मिक भी हैं। इनकी कहानियाँ पाठक को असहज करने की क्षमता रखती हैं। इस संग्रह की कहानियाँ अपनी जड़ों की तरफ लौटने का बार-बार आग्रह करती हैं और पाठकों को गहरे से झकझोरती हैं। इनकी कहानियों पर निर्मल वर्मा ने कहा था कि, ‘उनकी कहानियाँ विस्मित करती हैं।’

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