हिन्दी की सुपरिचित कवयित्री, लेखिका और अनुवादक। भारतीय ज्ञानपीठ से ‘ईश्वर नहीं नींद चाहिए’ नामक कविता संग्रह प्रकाशित व चर्चित। इसे 2019 के 15वें शीला सिद्धान्तकर समान व 2020 के 19वें हेमंत स्मृति समान से पुरस्कृत किया गया है। तिब्बत की काव्य परंपरा और प्रमुख समकालीन कवियों की रचनाओं पर आधारित एक पुस्तक ‘ल्हासा का लहू’ रज़ा पुस्तक माला व वाणी प्रकाशन के अंतर्गत शीघ्र प्रकाश्य। अश्वेत और तिब्बती कविताओं के अलावा बेनेडिक्ट ऐंडरसन का हिंदी अनुवाद विशेषकर उल्लेखनीय। सिंगापुर की एक प्रतिष्ठित एनजीओ द्वारा प्रकाश्य एक अंतर्राष्ट्रीय एंथोलॉजी Thousand Cranes के हिन्दी खंड का सपादन। संप्रति : मुंबई में प्रबंधन कक्षाओं में साधनहीन छात्रों को बिजनेस कम्यूनिकेशन का अध्यापन।