Description
विश्व युद्धोत्तर चेक कथा-साहित्य में विश्व युद्ध की विभीषिका और तत्कालीन चेक राष्ट्र में चल रहे नाजी शासन के कारण आयी यातना का वर्णन है। चेकोस्लोवाकिया ही नहीं यूरोप के कई राष्ट्र हिटलर की तानाशाही से जूझ रहे थे, यातना के शिकार थे। इन सब की छाया से तत्कालीन साहित्य भी प्रभावित हुआ। यान ओत्चेनाशेक, जुलियस यूचिक, जोसेफ श्कवोरेस्की, यान नेरुदा, कारेल चापेक, आदि के लेखन में विश्वयुद्ध का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। कई चेक लेखक ऐसे हैं जिन्होंने हिटलर के यातना-शिविर में सजा भी काटी है। इन लेखकों ने हिटलर के यातना-शिविर के बारे में और तत्कालीन सामाजिक परिस्थिति को आधार बना कर कहानियाँ, कविताएँ, नाटक, डायरी, उपन्यास आदि प्रमुखता से लिखे। इस पुस्तक में प्रारभिक चेक साहित्य से लेकर आधुनिक साहित्य तक का विश्लेषण करने की कोशिश की गयी है, जो साहित्य के समय और सच को प्रस्तुत करती है।
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