डॉ. सरोज कौशल संस्कृत और हिन्दी साहित्य की एक प्रतिष्ठित विदुषी हैं, जिनका शिक्षण, लेखन और शोध के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा है। उनका जन्म 8 जून 1964 को हुआ। उन्होंने बी.ए. आॅनर्स और एम.ए. दोनों परीक्षाएँ स्वर्णपदक के साथ उत्तीर्ण कीं। वे जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के संस्कृत विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहीं, साथ ही कला, शिक्षा और समाज विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता भी रहीं। विश्वविद्यालय में उन्होंने लगभग 38 वर्षों तक शिक्षण एवं शैक्षणिक दायित्वों का निर्वहन किया।
भारतीय दर्शन और समकालीन संस्कृत साहित्य में उनकी विद्वत्ता व्यापक रूप से मान्य है। वे संस्कृत तथा हिन्दी दोनों भाषाओं की कवयित्री हैं। डॉ. कौशल की पाँच पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और उनके 100 से अधिक शोधपत्र प्रतिष्ठित शोधपत्रिकाओं में छप चुके हैं। उन्होंने देश के अनेक विश्वविद्यालयों तथा संस्थानों में 150 से अधिक व्याख्यान दिए हैं।, जो उनकी विद्वत्ता और समर्पण को दर्शाता है।
उन्हें अनेक सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर द्वारा वर्ष 2016 में ‘संस्कृत विदुषी सम्मान’ से नवाजा गया। 2019 में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन और कालिदास अकादमी द्वारा उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र लेखन पुरस्कार’ प्रदान किया गया। 2020 में उन्हें आस्था सांस्कृतिक संस्था, जयपुर द्वारा ‘वेद वेदाङ्ग सम्मान’ प्राप्त हुआ। हाल ही में 2023 में उन्हें Nexus PR Media द्वारा Women of Honor Achievement Award (राज्य स्तरीय) से सम्मानित किया गया।
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