15 अगस्त को मुज़फ्फरपुर, बिहार में जन्मीं कविता पिछले ढाई दशकों से कहानी की दुनिया में सतत सक्रिय हैं। स्त्री जीवन के बारीक रेशों से बुनी स्वप्न और प्रतिरोध की सकारात्मक कहानियों के लिए जानी जाती हैं। नौ कहानी-संग्रह- ‘मेरी नाप के कपड़े’, ‘उलटबांसी’, ‘नदी जो अब भी बहती है’, ‘आवाज़ों वाली गली’, ‘क से कहानी घ से घर’, ‘उस गोलार्द्ध से’, ‘गौरतलब कहानियाँ’, ‘मैं और मेरी कहानियाँ’ तथा ‘माई री’ व दो उपन्यास ‘मेरा पता कोई और है’ तथा ‘ये दिये रात की ज़रूरत थे’ प्रकाशित। इनके अतिरिक्त कई पुस्तकों का सम्पादन।
‘मेरी नाप के कपड़े’ के लिये अमृतलाल नागर कहानी पुरस्कार तथा ‘क से कहानी घ से घर’ के लिए स्पंदन सम्मान प्राप्त। कुछ कहानियां अँग्रेजी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित।