बिहार के भागलपुर में 16 नवम्बर 1924 को जन्मे श्री वीरेंद्र नारायण नाटककार, अभिनेता निर्देशक, अनुवादक, नाट्यालोचक और स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उन्होंने 1956-57 में लंदन से थिएटर में डिग्री ली थी और अकेडमी ऑफ म्यूज़िक एंड ड्रामेटिक आर्ट्स से गोल्ड मेडल हासिल किया था। भारत लौटने पर वह सूचना प्रसारण मंत्रालय के संगीत एवं नाटक विभाग में नियुक्त हुए थे। भारत में लाइट एंड साउंड प्रोग्राम की शुरुआत उन्होंने की थी और ‘विद्यापति’ पर उन्होंने लाइट एंड साउंड शो किया था जो उस जमाने में काफी पॉपुलर हुआ था । विद्यापति की भूमिका उन्होंने ही निभाई थी। उन्होंने रामचरित मानस पर भी लाइट एंड साउंड शो किया था जिसे देखने तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और सूचना प्रसारण मंत्री लालकृष्ण आडवाणी भी आये थे।
उन्होंने कई नाटक हिंदी और अंग्रेजी में भी लिखे थे जिसमें ‘सूरदास’ उनका बहुत चर्चित नाटक हुआ था और उसके सैकड़ों शो हुए थे। नेत्रहीनों पर पहला नाटक था। उन्होंने 60 के दशक में शरतचन्द्र पर नाटक भी लिखा था। ‘बापू के साये में’ र्शीषक से हिंदी और अंग्रेजी में नाटक लिखा था। 1969 में केंद्र सरकार द्वारा आयोजित गांधी जन्मशती समारोह में इसके शो हुए थे। उन्होंने टेली सीरियल में भी काम किया था। उन्होंने तीन उपन्यास भी लिखे। अज्ञेय ने उनके एक उपन्यास की भूमिका लिखी। उन्होंने कहानियां कविताएं भी लिखी थीं।
अंग्रेजी में थिएटर के स्टेज क्राफ्ट पर किताब लिखी जो इस विषय पर पहली किताब है। हिंदी में रंगकर्म जैसी महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी। वे प्रख्यात हिंदी लेखक पदमभूषण शिवपूजन सहाय के दामाद थे जो प्रेमचन्द प्रसाद और निराला के सहयोगी मित्र थे।