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Chayanit Kahaniyan : Nikolay Vasilyevich Gogol

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निकोलाई वसीलिविच गोगोल का जन्म 19 मार्च 1809 को यूक्रेन के पोल्टावा प्रान्त के सोरोकिंस्की कस्बे में हुआ था। यूक्रेन के इस हास्यकार, नाटककार और उपन्यासकार की रूसी भाषा में लिखी रचनाओं ने रूसी साहित्य की दिशा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया। उसके उपन्यास ‘डेड सोल्स’ (मृत आत्माएँ-1842) और कहानी ‘द ओवरकोट’ (ओवरकोट-1842) को रूसी यथार्थवाद की 19वीं सदी की महान परंपरा की नींव माना जाता है। इन कहानियों से गोगोल की प्रौढ़ कलात्मकता का पूर्ण परिचय मिल जाता है। उसकी सबसे बड़ी विशेषता उसका सूक्ष्म व्यंग्य है जो पाठकों को हँसाता है, गुदगुदाता है और ग़मगीन बनाता है तथा साथ ही यह सोचने पर मजबूर करता है कि कहानियों में दर्शाए गए पात्र सर्वथा हास्यास्पद नहीं हैं, बल्कि परिस्थितियों ने इन्हें दयनीय बना दिया है। गोगोल की इसी विशेषता पर टिप्पणी करते हुए बेलिंस्की ने गोगोल के व्यंग्य को ‘आंसुओं के बीच हँसी’ कहा है।

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निकोलाई वसीलिविच गोगोल का जन्म 19 मार्च 1809 को यूक्रेन के पोल्टावा प्रान्त के सोरोकिंस्की कस्बे में हुआ था। यूक्रेन के इस हास्यकार, नाटककार और उपन्यासकार की रूसी भाषा में लिखी रचनाओं ने रूसी साहित्य की दिशा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया। उसके उपन्यास ‘डेड सोल्स’ (मृत आत्माएँ-1842) और कहानी ‘द ओवरकोट’ (ओवरकोट-1842) को रूसी यथार्थवाद की 19वीं सदी की महान परंपरा की नींव माना जाता है। इन कहानियों से गोगोल की प्रौढ़ कलात्मकता का पूर्ण परिचय मिल जाता है। उसकी सबसे बड़ी विशेषता उसका सूक्ष्म व्यंग्य है जो पाठकों को हँसाता है, गुदगुदाता है और ग़मगीन बनाता है तथा साथ ही यह सोचने पर मजबूर करता है कि कहानियों में दर्शाए गए पात्र सर्वथा हास्यास्पद नहीं हैं, बल्कि परिस्थितियों ने इन्हें दयनीय बना दिया है। गोगोल की इसी विशेषता पर टिप्पणी करते हुए बेलिंस्की ने गोगोल के व्यंग्य को ‘आंसुओं के बीच हँसी’ कहा है।

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